नोनिया-लोणिया और आगर-आगरा (हमारे पूर्वज यहां बड़े पैमाने पर नमक का उत्पादन करते थे)
*नोनिया-लोणिया और आगर-आगरा*
मुगल काल में आगरा एक बहुत बड़ा नमक बेल्ट था अर्थात बहुत बड़ा नमक उत्पादन का क्षेत्र था जहां पर नोनिया-लोणिया जाति के लोग बड़े पैमाने पर नमक का उत्पादन किया करते थे वे नमकीन मिट्टी में पानी डाल कर उस पानी को नमकीन मिट्टी से होक गुजारते थे जिसके चलते ओ पानी गाढ़ा और लाल रंग का हो जाता था जिसे एक बहुत बड़ी कड़ाही/कड़ाह में आग जला कर ऊबालते थे जिससे वाष्पीकरण होकर पानी ऊड़ जाता था और कड़ाही में नीचे नमक बच जाता था।
विदित हो कि आज के आगरा में यह काम प्राचीन काल में बहुत जगह आग जला - जला कर किया जाता था जैसे किसी आज के कुम्हारों की बस्ती में होता है मिट्टी के बर्तन को पकाने के लिए ठिक उसी तरह से । नोनिया परिवार के लोगों द्वारा उस समय आगरा में जगह - जगह आग जलाकर यह काम किया जाता था,उस समय आगरा में जिधर देखो उधर आग ही आग दिखता होगा, उस समय इसलिए हमारे उन्हीं नोनिया पूर्वजों के जगह - जगह आग जलाकर अपने नमक से संबंधित काम धंधा करने पर आग से आगर(आगर=नमक बनाने का स्थान) बना फिर वही बाद में अपभ्रंश होकर आगरा बना जहां एक मुगलिया शासक शाहजहां ने अपनी खुबसूरत बेगम की याद में उसके मजार पर ताजमहल बनवा दिया जो आज दुनियां में पर्यटन के लिए एक बेहतरीन जगह बन गया है जिसे विश्व के हर देश के लोग जानते हैं और वहां घूमने के लिए आते हैं ,आगरा शहर का नाम हमारे पूर्वजों के पैतृक और खानदानी पेशा नमक के बदौलत है,जिस पर हमे फक्र होना चाहिए।
बाद में मुगलों के द्वारा हमारे पैतृक और खानदानी/वंशानुगत पेशा नमक बनाने के कुटिर उद्योग का आर्थिक शोषण और हमारे नमक उत्पादक पूर्वजों पर अन्याय, अत्याचार व मुगलिया सल्तनत के कुछ शासकों जैसे औरंगजेब आदि के धर्मान्तरण से तंग आकर यहां के हमारे पूर्वज विस्थापित होकर कुछ गुजरात चले गए जहां आगरा से जाने की वजह से अगरिया कहलाये
कुछ महाराष्ट्र में जा बसे और वहां भी चूंकि वे आगरा से जाकर बसे इसलिए वहां आगरी कहलाये
कुछ छत्तीसगढ़ में भी जा बसे जहां वहां के छतिसगढ़ीया भाषा के चलते अघरिया/आघरिया कहलाये।
*कृष्ण कुमार भारती, छपरा, बिहार,Now दिल्ली*
मुगल काल में आगरा एक बहुत बड़ा नमक बेल्ट था अर्थात बहुत बड़ा नमक उत्पादन का क्षेत्र था जहां पर नोनिया-लोणिया जाति के लोग बड़े पैमाने पर नमक का उत्पादन किया करते थे वे नमकीन मिट्टी में पानी डाल कर उस पानी को नमकीन मिट्टी से होक गुजारते थे जिसके चलते ओ पानी गाढ़ा और लाल रंग का हो जाता था जिसे एक बहुत बड़ी कड़ाही/कड़ाह में आग जला कर ऊबालते थे जिससे वाष्पीकरण होकर पानी ऊड़ जाता था और कड़ाही में नीचे नमक बच जाता था।
विदित हो कि आज के आगरा में यह काम प्राचीन काल में बहुत जगह आग जला - जला कर किया जाता था जैसे किसी आज के कुम्हारों की बस्ती में होता है मिट्टी के बर्तन को पकाने के लिए ठिक उसी तरह से । नोनिया परिवार के लोगों द्वारा उस समय आगरा में जगह - जगह आग जलाकर यह काम किया जाता था,उस समय आगरा में जिधर देखो उधर आग ही आग दिखता होगा, उस समय इसलिए हमारे उन्हीं नोनिया पूर्वजों के जगह - जगह आग जलाकर अपने नमक से संबंधित काम धंधा करने पर आग से आगर(आगर=नमक बनाने का स्थान) बना फिर वही बाद में अपभ्रंश होकर आगरा बना जहां एक मुगलिया शासक शाहजहां ने अपनी खुबसूरत बेगम की याद में उसके मजार पर ताजमहल बनवा दिया जो आज दुनियां में पर्यटन के लिए एक बेहतरीन जगह बन गया है जिसे विश्व के हर देश के लोग जानते हैं और वहां घूमने के लिए आते हैं ,आगरा शहर का नाम हमारे पूर्वजों के पैतृक और खानदानी पेशा नमक के बदौलत है,जिस पर हमे फक्र होना चाहिए।
बाद में मुगलों के द्वारा हमारे पैतृक और खानदानी/वंशानुगत पेशा नमक बनाने के कुटिर उद्योग का आर्थिक शोषण और हमारे नमक उत्पादक पूर्वजों पर अन्याय, अत्याचार व मुगलिया सल्तनत के कुछ शासकों जैसे औरंगजेब आदि के धर्मान्तरण से तंग आकर यहां के हमारे पूर्वज विस्थापित होकर कुछ गुजरात चले गए जहां आगरा से जाने की वजह से अगरिया कहलाये
कुछ महाराष्ट्र में जा बसे और वहां भी चूंकि वे आगरा से जाकर बसे इसलिए वहां आगरी कहलाये
कुछ छत्तीसगढ़ में भी जा बसे जहां वहां के छतिसगढ़ीया भाषा के चलते अघरिया/आघरिया कहलाये।
*कृष्ण कुमार भारती, छपरा, बिहार,Now दिल्ली*
बहुत सही जानकारी दिया आपने
ReplyDeleteBahut.mahtwpurn jankari di apne ..thank you
ReplyDeleteThank you lekin noniya samaj ko jagrok hona parega
ReplyDeleteमुझे समझ नहीं आता है कि कोइ नोनिया कह्ता तो कोइ खरिया कहता ःहै पर दोनो जातियो फर्क है
ReplyDeleteMai mukesh KUMAR chauhan noniya dist,sitamarhi bihar se belong karta hu mai m.sc physics se kar rha hu, noniya samaj ne desh ki aajadi me mahatma Gandhi ke sath diya aur desh ke liy bilidan ho gay aur noniya ke vir saputo pero per latkaker fhasi aur tel kholte Karahi me dbal Diy hai ye sbhi noniya ke saputo ko aatma ki shanti de bhagwan ,noniya ke vir saput amar rhe ,jay hind noniya samaj, 9572904512,6299213134
ReplyDeleteBihar ke champaran me farmers ne nil ki kheti karte the mahatma Gandhi ko noniya ke vir saput shri mukut dhari prasad chauhan ne sath diya tha angrejo drora shoshan air marpit kiya jata tha aur gulam banaker rkhte the, jay hind noniya samaj amar rhe
ReplyDeleteNoniya samaj ka work tha desh nhi balki bidesho me namk, shoda,golo,barud, missiles, topkhana ,santist, noniya samaj, Jay hind noniya samaj
ReplyDeleteBhai Mai v agGRI HU MARATSRA MUMBAI SE AAJ MUJHE PATA CHALA HUM AGRA SE HAI ORIGINALLY THNKS BATA NE KE LIYE ,,HAMARE SAMJ KO EK JUT HONA CHAHIYE
ReplyDeleteMujhe grab hai ki mai nonia samaj se hu
ReplyDelete(Jay hind nonia samaj)