ऑटो वाले ने 5 दिन तक गली-गली जाकर ढूंढा और लौटाया सवारी का छूटा हुआ 7 लाख के गहनों से भरा बैग

ईमानदारी ऐसी चीज है जिसने कमा ली तो उससे खुश इंसान दुनिया में और कोई नहीं होता। छत्तीसगढ के एक ऑटोवाले ने ईमानदारी की सबसे बड़ी मिसाल पेश की है। ऑटो चालक ने उसके ऑटो में छूटे बैग को उसके मालिक को लौटा दिया। बैग में 7 लाख रुपए के हीरे जड़ित ज्वेलरी व पैसों रखे थे। ऑटो चालक महेश ने पुलिस की मौजदगी में बैग को उसके मालिक को दे दिया। ऑटो चालक की ईमानदारी को देखते हुये शहर वासियों ने उसकी जमकर तारीफ़ की।


दरअसल, छत्तीसगढ़ के जगदलपुर शहर के निवासी ऑटो चालक महेश कश्यप रोज़ की तरह अपने काम पर निकले थे। एक दिन गाज़ियाबाद से अपने भाई के घर शादी समारोह में जगदलपुर आई एक महिला, महेश की ऑटो में बैठी थी। ऑटो से उतरते वक़्त वह अपना बैग ऑटो में ही भूल गई, उस बैग में 7 लाख रुपए के कीमती जेवर और रुपये रखे हुए थे।


उसी रात को जब महेश घर पहुंचे, तो उनकी पत्नी ने बताया कि ऑटो में किसी सवारी का सामान छूट गया है। जब उन्होंने उस सामान को निकालकर देखा, तो हैरान हो गए, बैग में सोने की अंगूठी और चेन के साथ नगद राशि थी। महेश को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि यह बैग किसका है और अब इसे कैसे लौटाया जाए। सबसे पहले महेश ने बैग को घर के सुरक्षित स्थान पर रख दिया । महेश ने बहुत कोशिश की, याद करने की, कि आखिर यह बैग किस सवारी का है पर कुछ समझ नहीं आ रहा था।


अगले दिन महेश बैग के मालिक को ढूंढ़ते हुए उन्हीं रास्तों पर निकल पड़ा, लेकिन दिन भर की मेहनत के बाद भी असली मालिक का पता नहीं चला। लगभग पांच दिन तक महेश और उनकी पत्नी बेहद परेशान रहे कि आखिर इस बैग के मालिक को ढूंढा कैसे जाए, लेकिन कुछ पता नहीं चला। जब कुछ पता नहीं चला तो महेश ने सोचा कि क्यों न एक बार बैग में देखा जाये शायद कोई संपर्क या जानकरी मिल जाए, इसके बाद महेश ने बैग को पूरी तरह से खाली किया तो बैग में आधार कार्ड और एक मोबाइल नंबर मिला। मोबाइल नंबर मिलते ही महेश और उनकी पत्नी ने राहत की सांस ली और एक उम्मीद जग गई कि अब इस बैग के मालिक को ढूंढ़ने में आसानी होगी। महेश ने उस नंबर पर कॉल करके पूरा माजरा बताया और कहा कि आपका बैग हमारे पास सुरक्षित है और आप इसे आकर ले लीजिए। इसके बाद सभी लोग पुलिस थाने में मिले और महेश ने अपनी ईमानदारी का परिचय देते हुए वह बैग मालिक के हाथों में सौप दिया। उस बैग के मालिक को ढूंढ़ना किसी जंग से कम नहीं था।
महेश की ईमानदारी को देखते हुए समाज के लोगों ने भी उनको शॉल पहना कर और 5001 रुपये की सहयोग राशि देकर सम्मान किया।

सार्वजनिक सेवा घोषणा
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